बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि वो शिक्षकों के दबाव के आगे नहीं झुकेंगे. दरअसल, बिहार के 4 लाख नियोजित और नियमित शिक्षक समान काम-समान वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं. उनकी इस हड़ताल में अब माध्यमिक स्कूल के शिक्षक भी शामिल हो गए हैं.
वहीं, इंटर और मैट्रिक की परीक्षा में उत्तर पुस्तिका की जांच का भी शिक्षक विरोध कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. ऐसा कहीं होता है कि अपने स्वार्थ के लिए के बच्चों का भविष्य दांव पर लगाया जाए.
विधान परिषद् में राज्यपाल के अभिभाषण पर जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि छात्रों की परीक्षा होने वाली है और शिक्षक हड़ताल करेंगे. क्या ये शिक्षकों का काम हैं?
उन्होंने साफ कहा कि नियमित शिक्षकों के बराबर वो वेतनमान नहीं दे सकते हैं क्योंकि बिहार में और भी काम करने हैं. नीतीश कुमार ने कहा कि क्या सड़कें, अस्पताल नहीं बनाए जाएं? लोगों को सुविधा भी देनी है.
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नीतीश कुमार ने कहा कि आप 4 लाख हो, जबकि बिहार की आबादी 12 करोड़ है. हमारी जितनी हैसियत है उतना हम बढ़ाते रहेंगे, लेकिन ये मांग जायज नहीं है. उन्होंने कहा कि हम किसी का बुरा नहीं करेंगे. हम शिक्षकों के पक्ष में हैं, हमने 1500 से उनके वेतनमान को बढ़ाकर कहां पहुंचा दिया.
अगर शिक्षक स्टूडेंट्स का अहित करेंगे तो लोगों की सहानूभूति नहीं मिलेगी. ये गैरकानूनी काम है. नीतीश कुमार ने कहा कि हमें वोट की चिंता नहीं है, वोट दें चाहे न दें, लेकिन स्टूडेंट्स के साथ अहित नहीं होने देंगे.
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नीतीश कुमार ने कहा कि बहाली सरकार के स्तर पर नहीं बल्कि पंचायत और नगर निकाय के स्तर से की गई है. उन्होंने कहा कि अयोग्य शिक्षकों की बहाली कर शिक्षा व्यवस्था को नष्ट किया गया, लेकिन फिर भी हमने इनकी नौकरी बचाई.
नीतीश कुमार ने कहा कि समान वेतन का मामला शिक्षक सुप्रीम कोर्ट लेकर गए, लेकिन उनकी मांग कोर्ट ने खारिज कर दिया. आखिर इतने महंगे वकील रखने का पैसा उनके पास कहां से आया? सीम ने साफ कहा कि वो दवाब के सामने नहीं
झुकेंगे.